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एक ही मुश्दा सुभो लाती है - जॉन एलिया
हम पंक्षी उन्मुक्त गगन के - शिवमंगल सिंह 'सुमन'
रीत भले है अलग हमारी पर पूजन तो पूजन है - देवल आशीष
कहीं पे धूप की चादर बिछा के बैठ गए - दुष्यंत कुमार
अम्मा - अलोक श्रीवास्तव
ये तेरी बेरुखी की हमपे आदत खास टूटेगी  - डॉ. कुमार विश्वास
मिले हर जख्म को ,मुस्कान से सीना नहीं आया - डॉ. कुमार विश्‍वास
ग़मों को आबरू अपनी ख़ुशी को गम समझते हैं - डॉ. कुमार विश्वास
अभी चलता हूँ रस्ते को मैं मंजिल मान लू कैसे - डॉ. कुमार विश्‍वास
रिश्ते बस रिश्ते होते हैं - गुलज़ार
कुरान हाथों में लेके नाबीना एक नमाज़ी - गुलज़ार
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते - गुलज़ार
उसके पहलू से लग के चलते हैं - जॉन एलिया
हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई - जॉन एलिया
लौ-ए-दिल जला दूँ क्या - जॉन एलिया
कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे - जॉन एलिया
उम्र गुज़रेगी इम्तहान में क्या - जॉन एलिया