हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है
हर इक खाली पड़े आलिंद तेरी याद आती है
सुबह के ख्वाब के मानिंद तेरी याद आती है
हलो हे हाय सुनकर तो नहीं आती मगर हमसे
कोई कहता है जब जयहिंद तेरी याद आती है
कोई देखे जनमपत्री तो तेरी याद आती है
कोई व्रत रख ले सावित्री तो तेरी याद आती है
अचानक मुश्किलों में हाथ जोड़े आँख मूँदे जब
कोई गाती हो गायत्री तो तेरी याद आती है
सुझाए माँ जो महूरत तो तेरी याद आती है
हँसे गर बुद्ध की मूरत तो तेरी याद आती है
कहीं डालर के पीछे छुप गए भारत के नोटों पर
दिखे गाँधी की जो मूरत तो तेरी याद आती है
अगर मौसम हो मनभावन तो तेरी याद आती है
झरे मेघों से गर सावन तो तेरी याद आती है
कहीं रहमान की जय हो को सुनकर गर्व के आँसू
करे आँखों को जब पावन तो तेरी याद आती है
डॉ. कुमार विश्वास
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