तुम लाख चाहे मेरी आफ़त में जान रखना
पर अपने वास्ते भी कुछ इम्तिहान रखना
वो शख़्स काम का है दो ऐब भी हैं उस में
इक सर उठाना दूजा मुँह में ज़बान रखना
पगली सी एक लड़की से शहर ये ख़फ़ा है
वो चाहती है पलकों पे आसमान रखना
केवल फ़क़ीरों को है ये कामयाबी हासिल
मस्ती से जीना और ख़ुश सारा जहान रखना
डॉ कुमार विश्वास
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