हर समस्या का समाधान हैं ये देवी श्लोक

देवी का ध्यान मंत्रः 

देवी प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोsखिलस्य। 

प्रसीद विश्वेतरि पाहि विश्वं त्वमीश्चरी देवी चराचरस्य। 



इस प्रकार भगवती से प्रार्थना कर भगवती के शरणागत हो जाएं। देवी कई जन्मों के पापों का संहार कर भक्त को तार देती है। वही जननी सृष्टि की आदि, अंत और मध्य है। 


देवी से प्रार्थना करें: 

शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे! 

सर्वस्यार्तिंहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तुते॥ 


सर्वकल्याण एवं शुभार्थ प्रभावशाली माना गया हैः 

सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके। 

शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥ 


बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिएः 

सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। 

मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥ 


सर्वबाधा शांति के लिएः 

सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। 

एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।। 


आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए इस चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया हैः 

देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। 

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥ 


अर्थातः शरण में आए हुए दीनों एवं पीडि़तों की रक्षा में संलग्न रहने वाली तथा सब की पीड़ा दूर करने वाली नारायणी देवी! तुम्हें नमस्कार है। देवी से प्रार्थना कर अपने रोग, अंदरूनी बीमारी को ठीक करने की प्रार्थना भी करें। ये भगवती आपके रोग को हरकर आपको स्वस्थ कर देंगी।


विपत्ति नाश के लिएः शरणागतर्दनार्त परित्राण पारायणे। सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥ 


मोक्ष प्राप्ति के लिएः 

त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या। विश्वस्य बीजं परमासि माया।। 

सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्। त्वं वैप्रसन्ना भुवि मुक्त हेतु:।। 


शक्ति प्राप्ति के लिएः 

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि। 

गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोह्यस्तु ते।। 


अर्थातः तुम सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति भूता, सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणि! तुम्हें नमस्कार है। 


रक्षा का मंत्रः 

शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके। 

घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि: स्वनेन च।। 


अर्थातः देवी! आप शूल से हमारी रक्षा करें। अम्बिके! आप खड्ग से भी हमारी रक्षा करें तथा घण्टा की ध्वनि और धनुष की टंकार से भी हमलोगों की रक्षा करें। 


रोग नाश का मंत्रः 

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान सकलानभीष्टान्। 

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हाश्रयतां प्रयान्ति। 


अर्थातः देवी! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके है। उनको विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गए हुए मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं। 


दु:ख-दारिद्र नाश के लिएः 

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:। 

स्वस्थै स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।। 

द्रारिद्र दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या। 

सर्वोपकारकारणाय सदाह्यद्र्रचिता।। 


ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, संपदा प्राप्ति एवं शत्रु भय मुक्ति-मोक्ष के लिएः ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः। शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥ 


भय नाशक दुर्गा मंत्रः 

सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते, 

भयेभ्यास्त्रहिनो देवी दुर्गे देवी नमोस्तुते। 


स्वप्न में कार्य सिद्घि-असिद्घि जानने के लिएः 

दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थ साधिके। 

मम सिद्घिमसिद्घिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शय।। 


अर्थातः शरणागत की पीड़ा दूर करने वाली देवी हम पर प्रसन्न होओ। संपूर्ण जगत माता प्रसन्न होओ। विश्वेश्वरी! विश्व की रक्षा करो। देवी! तुम्ही चराचर जगत की अधिश्वरी हो। 


मां के कल्याणकारी स्वरूप का वर्णनः सृष्टिस्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तुते॥ 


अर्थातः हे देवी नारायणी! तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली शरणागतवत्सला, तीन नेत्रों वाली एवं गौरी हो, तुम्हें नमस्कार है। तुम सृष्टि पालन और संहार की शक्तिभूता सनातनी देवी, गुणों का आधार तथा सर्वगुणमयी हो। नारायणी! तुम्हें नमस्कार है।

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