हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बारे में कुछ रोचक तथ्य


क्रिकेट में सर डॉन ब्रैडमैन और फुटबॉल में पेले को जो मुकाम हासिल है, हॉकी में ध्यानचंद का वही स्थान है। इंटरनैशनल हॉकी में उन्हें एक हजार से ज्यादा गोल करने का गौरव हासिल है।
मेजर ध्यानचंद के बारें में कुछ रोचक तथ्य:
एक बार एक मैच में लगातार कईं प्रयासों के बाद भी ध्यानचंद गोल करने में असफल हो रहे थे| अंत में उन्होंने ने गोल पोस्ट की लम्बाई को लेकर रेफरी से शिकायत की और जब गोल पोस्ट की लम्बाई नापी गयी तो सच में गोल पोस्ट की लम्बाई नियमों के अनुसार छोटी थी|
1936 के ओलंपिक में जब भारत अपना पहला मैच खेलने के लिए उतरा तो हजारों -लाखों की संख्या में लोग यह मैच देखने आये क्यूंकि मैच से एक दिन पूर्व एक जर्मन समाचारपत्र ने भारत के मैच को जादू का खेल
नाम दिया और अगले दिन पूरे जर्मन में पोस्टर लग गए
की होकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का आज मैच|
1936 के बर्लिन ओलंपिक्स में मेजर ध्यानचंद का खेल देखने के बाद वहां की तानाशाह हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को जर्मन नागरिकता तथा जर्मन सेना में कर्नेल पद की पेशकश की थी|लेकिन ध्यानचंद जी ने भारत छोड़कर कहीं और बसने की बात कहकर हिटलर के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था|
होल्लैंड में एक बार विरोधी टीम के कहने पर रेफरी ने मेजर ध्यानचंद की होकी स्टिक तोड़ दी थी सिर्फ यह जाने के लिए की कहीं उसके अन्दर चुम्बक तो नहीं है|
एक बार एक खेल में एक औरत ने उन्हें अपनी चलने वाली छड़ी से खेलने को कहा और मेजर ध्यानचंद ने उससे भी कई गोल किये|
1935 में ऑस्ट्रेलिया में सर डोन ब्रेडमेन ने ध्यानचंद का खेल देखकर कहा था कि आप गोल ऐसे करते हो जैसे क्रिकेट में रन बनते हैं |ब्रैडमैन को बाद में जब पता चला कि ध्यानचंद ने इस दौरे में 48 मैच में कुल 201 गोल दागे तो उनकी टिप्पणी थी, यह किसी हॉकी खिलाड़ी ने बनाए या बल्लेबाज ने।

ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में चार होकी स्टिक पकड़े चार हाथों वाली उनकी मूर्ति स्थापित है जो उनके खेल कौशल को दर्शाती है..
मेरा देश क्या देता है मुझे जरूरी नही, पर मेरा फ़र्ज़ है मैं देश को क्या देता हूँ। दिलो बसने वाले मेजर ध्यानचंद अमर रहे।
3 दिसम्बर 1979 को aims के जेनरल वार्ड में उन्होंने आखिरी सांस ली। मेजर ध्यानचंद की पुण्यतिथि पर शत शत नमन।

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