Bahubali 2 : The Conclusion | Review (हिन्दी)



शब्द नहीं हैं मेरे पास, :) :)

बस चार शब्द हैं :p :p
अप्रत्याशित, अद्भुत, अविश्वसनीय, आकर्षक

1. अप्रत्याशित: कहानी और पटकथा, जितनी भी कहानियाँ सोश्ल मीडिया पर प्रचारित/प्रसारित की गईं है उनमे से एक भी कहानी फिल्म में नहीं मिली ..
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2. अद्भुत: परदे पर उतरता एक-एक दृश्य जो आपके रोंगटे खड़े कर देता है , शिवा (महेंद्र बाहुबली) की सेना का महिष्मती राज्य में प्रवेश वाला दृश्य फिल्म की अद्भुत पटकथा को दिखाता है ..
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3. अविश्वसनीय: कट्टप्पा द्वारा अपने हाथों से बाहुबली की मृत्यु, जो आपकी आंखे नम कर देगा
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4. आकर्षक: देवसेना द्वारा इशारों से नदी में लहरें उठाना और फिर बाहुबली द्वारा हंस रूपी नाव को बादलों के उस पार ले जाना, बाहुबली का छलिया रूप में देवसेना का दिल जीतना और उसमे कट्टप्पा का योगदान
पूरी फिल्म में सभी किरदारों का अभिनय और स्थान लाजवाब है यहाँ तक की भल्लाल देव की स्वर्ण प्रतिमा भी महत्वपूर्ण है ;) ..
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प्रभाष, रम्या कृष्णन, अनुष्का, राणा दगुबत्ती और नस्सर ने अभिनय से फिल्म कि पटकथा को नयी ऊंचाइयों पर पहुँचाने का काम किया है ..
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एम एम कीरवानी का संगीत आग में 'घी' का कम कर रहा है .. बहुत ही जादुई संगीत और काल भैरव का पहला गीत काफी है आपकी उत्सुकता जगाने के लिए..
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संवाद बहुत सरल और दमदार हैं ..
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हालांकि, आपको इतनी जल्दी पता नहीं चलेगा क्यूँ कट्टप्पा ने बाहुबली को मारा ? क्यूंकी कहानी में बहुत मोड़ है.. ये बात आपको मध्यांतर के बाद ही पता चलेगी ..
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बस एक कमी है फिल्म में और वो ये कि 2 घंटा 47 मिनट की फिल्म भी बहुत जल्दी खत्म हो गई ..
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अगर कोई 2 घंटा 47 मिनट तक पलक ना झपकने का इनाम देता तो वो इनाम आज मेरा होता..
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नोट: कृपया करके कमेंट में ये ना पूंछे कि 'कट्टप्पा ने बाहुबली को क्यूँ मारा' ..
इसके लिए आपको फिल्म देखनी चाहिए ..
सभी लोगों ने बहुत परिश्रम किया है (रिवियू लिखने में मैंने भी) जिसका एहसास आपको फिल्म देखने के बाद होगा ..!

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