खुद से भी ख़ूबसूरत है मेरी माँ
मेरी ज़िन्दगी की सबसे ज़रूरी ज़रूरत है माँ
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
ऐ अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया
साड़ी दुनिया देख ली है मैंने
पर तेरे आँचल की छाँव जैसा कुछ नहीं माँ
भरी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाये
जब मेरी चिंता बढे माँ सपने में आये
मुद्दतों बाद मयस्सर हुआ माँ का आँचल
मुद्दतों बाद हमें नींद सुहानी आई
वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने माँ पुकार मुझे
मैं एक शाख से कितना घना दरख़्त हुई
इस तरह मेरे हुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती
मैं रॉय परदेश में भीगा माँ का प्यार
दुःख ने दुःख से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार
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