“ग़ज़ल का हुस्न उसमें अनकही फ़रियाद रखना है ,
हमें बरबाद होकर क़ाफ़िया आबाद रखना है ,
मुहब्बत और शौहरत में बडा बेदर्द रिश्ता है ,
उसी को भूलना है और उसी को याद रखना है..!”
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