प्रसंशा चाहे कितनी भी करिये लेकिन अपमान हमेशा सोच समझकर करना चाहिए, क्योंकि अपमान वो ऋण है जो हर कोई समय आने पर ब्याज सहित अवश्य लौटाता है.



Post a Comment

0 Comments