आखरी मुलाक़ात..



Everyone has a past, no matter how beautiful their smile may be. There is always a heart breaking story which has changed them!!
उसे अच्छी तरह से याद है यही दीवाली के दिन था लड़का उसकी गली में मैच खेल रहा था.. उसी नोक झोंक में कब प्रेम हो गया पता ही नहीं चला! उससे बात शुरू करने में ही लड़के को 5-6 महीने लग गए..पर वो मान ही गयी!!
दोनों के साथ गुज़रे 6 साल जीवन के सबसे अनमोल पलो में से रहा है और हमेशा रहेगा।सच बताऊँ तो जिंदगी के 60 साल में कोई एक विश मंगनी हो न तो लड़का हर बार यही मंगेगा के ये 6 साल 10 बार रिपीट हो!
खैर बहुत कुछ unexpected ही रहा है और उनकी आखिरी मुलाक़ात तो सपने में भी नहीं सोची गयी थी ा.. उससेे मिलना हमेशा से ही स्पेशल रहा है।
शाम को 7 बजे लड़की की मम्मी का फोन आया
"हेल्लो *** बेटा हम आंटी बोल रहे हैं!"
"कौन आंटी?(लड़का नंबर तो पहचान ही गया था )"
"अरे यहाँ घर के सामने से ### की मम्मी"
"अच्छा हाँ नमस्ते आंटी जी! बताइये"
"बेटा इसको ओमान जाना है 1 जून को फ्लाइट है और कल इसका अपोइएन्टमेंट है नखलऊ में, सुबह 6 बजे पहुच जायेगी.. Visa के लिए अप्लाई करना है सारी ज़िम्मेदारी तुम्हारी ही है!"
"ठीक है आंटी"
अगली सुबह लड़का 6 बजे पॉलिटेक्निक पे इंतज़ार करने लगा.. इतने में हरी पिली रोडवेज रुकी.. लड़के ने बाहर से ही उसको देख लिया..
मांग में सिन्दूर पहली बार देख कर एक टेहड़ी सी मुस्कान चेहरे अपने आप आगयी। लड़की की छोटी बहन भी साथ थी तो एकदम अजनबी जैसे बन गए दोनों.. और शुरू हुआ बनावटी सवालो का सिलसिला..
"कैसी हो? आने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई न? ऑन्टी को बता दो के पहुच गयी हो!"
"नहीं आराम से आगये हम लोग, मम्मी को बता दिया है.. जल्दी चले? वहां लाइन भी लगाना पड़ा तो?"
"हम हैं न.. वैसे भी लाइन लड़को को ही लगाना पड़ता है और अब तो तुम लेडीज़ बन गयी हो(हस्ते हुए) तुम्हे लाइन नहीं लगाना पड़ेगा"
लड़के ने ऑटो बुक किया और
तीनो रजिस्ट्रेशन ऑफिस पहुच गए। अपॉइंटमेंट मिल गया और मेन सेंटर पे सारी फॉर्मेलिटी भी पूरी हो गयी..
खैर आज कल फोन सच में बहुत काम की चीज है। उसकी छोटी बहन फोन चार्जिंग में लगा के बैठ गयी और उसी में का जनि का का करने लगी..
ऑफिस में फॉम भरने के बाद वो दोनों उसकी बारी का इंतज़ार करने लगे..
"कैसी हो?"
"अच्छे हैं तुम कैसे हो?"
"ज़िंदा हैं.. तेवारी जी कैसे हैं तुम्हारे ? अब तो दुबई चली जाओगी तुम? अच्छा कभी याद आती है मेरी??"
"अच्छे हैं वो.. अब क्या करे जाना तो पड़ेगा ही.. तुम बहुत याद आते हो यार!!"
"तुम्हे अभी तक झूठ बोलना नहीं आया.. Honey, प्यार करता है तुम्हे?? हमसे ज्यादा"?
"प्यार? बहुत केयर करता है मेरी.. तुम्हारी तरह भुलक्कड़ नहीं है.. लापरवाह नहीं हैं.. चिंता करता है मेरी..
"ह्म्म्म्म वो तो दिख ही रहा है अबे कित्ता बतियाता है यार तुमसे? तबसे लगा ही हुआ है फोन पे, कह दो डरे नहीं भगा के नहीं ले जायेंगे तुम्हे! हा हा हा.. बोलो न प्यार करता है के नहीं?"
'करता है यार! पर तुम्हारे जितना कोई नही कर सकता..'
"लव यू यार"
"लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया"
सारी प्रोसेस होते होते 11 बज गए..
"रिपोर्ट तो 5:30 पे मिलेगी जी"
"तो कहाँ घुमा दें तुम्हे? पीकू देखोगी"
"नहीं! तुम्हारे घर चले?"
लड़के को सुन के यकीन नहीं हुआ..
"घर! चलो हमने बताया है मम्मी से के मिश्रा जी की लड़की आरही है"
"चलो भूख लग रही है तुम्हारे घर पे ही कुछ खाऊँगी"
"चलो"
लड़के ने सोचा भी नहीं था के ख्वाब कुछ ऐसे हक़ीक़त बन जायेगा!!
"नमस्ते ऑन्टी"
"खुश रहो बेटा.. आगयी.. बैठो धूप से आरहे हो तुम लोग"
"हाँ ऑन्टी बहुत तेज़ भूक लगी है"
"हाँ कुछ खिला दो मम्मी अब कुछ दिन बाद ये मुर्गा मुर्गी ही खायेंगी दुबई में"
"चुप रहो तुम.. तुमसे मतलब..ऑन्टी रस्ते भर हमको ये और पिंकी चिढ़ाते आये हैं..!"
.
.
.
"तुम्हे याद है हीरो तुमने एक बार कहा था के तुम् मुझे अपने घर ले जाना चाहते हो!!"
"नहीं!!! हा हा हा"
"भक्क्"
"याद है यार"
"आज हम इसी लिए आएं है.."
(उसकी नम आखे बोल रही थी के उसे सब याद है...)
लड़के ने उसे सारे पुराने एल्बम दिखाए जिसमे उसकी फोटो थी..
"बचपन में तो बड़े सुन्दर थे तुम!"
"चल भाग.. हाँ अब कहाँ कोई समझ आएगा तेवारी जी के सामने?"
"हा हा हा.. अल्ले अल्ले बुरा लग गया?"
"हा हा हा.. और फिर वो दोनों फोटो देख के हस्ते रहे!"
"3 बज गए चलो हमे कुछ शॉपिंग भी करना है.. सुनो ATM लेलेना अपना.. हा हा हा.."
"बड़ी आई ATM लेलेना.. चलो..
आई आज तुम्हे Yellow बेकरी का मोमोज़ खिलाते हैं हमारे गोमती नगर में बहुत फेमस है!!"
"oohooo चलो फिर"
.
.
.

"खा के मज़ा आया??"
"ह्म्म्म बाहुत  , तुम भी शादी कर लो न यार.."
"छोड़ो ये सब बात.. और खाना है?"
"नहीं खाना है.. कर लेंगे जल्दी क्या है.. वैस भी अब क्या फर्क पड़ता है?? तुम तो हो नहीं अब.. अब नौकरी अपनी पसंद की करेंगे और शादी घर वालो की.. लेकिन अभी नहीं!!"
"जब भी करना हमें बुलाना जरूर!!"
"हा हा हा! पक्का Honey.."
"चलो अब शॉपिंग कराओ!! आज सारा बिल तुम्ही को पे करना है.."
"हमने मना किया है क्या कभी??"
"तुम कभी न क्यों नहीं बोलते"
'All, everything that I understand, I only understand because I love..
तुमसे प्यार जो नहीं करते हैं"
लड़की की शॉपिंग चलती ही रहती है के लड़के के पास एक फोन आता हैं..
"कहाँ हैं भईया..रिजल्ट आगया SSC CGL 2014 मेंस का.."
"अमें कब? मेरा बताओ जल्दी.. रोल no नोट करो.. 3010550***"
"बधाई हो भाई!! क्वालिफाइड हो.. अब तो भईया सरकारी बाबू बन गए तुम तो!!"
"हा हा हा! थैन्क्स भाई.. अभी कॉल करता हूँ तुझे.."
"ए Honeyy मेरा रेसल्ट आगया.. आई एम् इन"
"क्या??  अरे वाह.. मैं बहुत खुश हूँ के तुम अब सेटल हो जाओगे"
"यार... यही अगर एक साल पहले आया होता तो? You are every reason, every hope and every dream I've ever had"
"तो आज शायद हम दुबई नहीं लखनऊ आने की तयारी कर रहे होते..इतना कहते ही उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे..
"लड़के नआंसू े चश्मे के पीछे छुपा लिए"
"अब तुम्हे क्या हुआ??"
"कुछ नहीं..यही सोच रहे है के
जब मेरे पास कुछ भी नहीं था तब तुम थी और आज जब सब कुछ मिल रहा है तो तुम नहीं हो..!!"
"हम थे हैं और हमेशा रहेंगे!! तुम पागल हो.. जल्दी से छापा वापा मारो अउर घूस कभी मत लेना"
"यार..."
"क्या?"
"कुछ नहीं.. समझ नहीं आरहा है के खुश हो के दुखी हो.. तुम थोड़ी देर में चली जाओगी.."
"कभी सोचा नहीं था के तुम्हारे साथ इस तरह पूरा दिन बिताउंगी.. और देखो मेरे आते ही तुम सेलेक्ट भी हो गए.. और हाँ आज मंदिर जरूर चले जाना हीरो"
"हम्म्म्म्म... मत जाओ यार"
"पक्क्! चलो अब लेट हो रही है जल्दी बिल पे करो रिपोर्ट का टाइम हो गया है"
रिपोर्ट लेके लौटते वक़्त एक अलग सी ख़ामोशी थी.. जो बहुत कुछ बोल रही थी.. जो बोल रही थी के मैंने बहुत देर कर दी.. जो बोल रही थी के मैंने उसे जाने दिया.. जो बोल रही थी के मैं आज भी खली हाथ हूँ!!
वो लोग बस का इंतज़ार कर रहे थे..
"पहुच के फोन कर देना।"
"हां कर देंगे।"
"अब तो मिलोगी नहीं कभी"
"ह्म्म्म शायद नहीं"
"ह्म्म्म्म खुश रहना यार! हमेशा!!"
बस आगयी और वो जाने लगी..
"सुनो"
"जॉब के लिए congrats आज के लिए थैंक्स और हमेशा के लिए..."
"लड़के ने सोचा 'बाय'.. क्या?"
"लव यू"
लड़का कुछ नहीं बोला.. कभी कभी कुछ जवाब अधूरे रहते हैं.. चश्मे के निचे से आंसू की बुँदे टपकने लगी.. लड़के ने घर पे फोन किया और घर वालो को सिलेक्शन की बात बताई..
फैमिली के भी कुछ ख्वाब होते हैं.. एक समय पे कितना कुछ घटता रहता है.. पता नहीं लड़के को कुछ महसूस क्यों नहीं हो रहा था.. लड़के ने फोन ऑफ़ किया और घर को चल दिया.. उसने और किसी तीसरे को न ही मुलाक़ात के बारे में बताया और न रिजल्ट के बारे में!!
सच कहूँ तो लड़के ने सोचा था के अपनी मोहतरमा की शादी में कुर्सी और टेंट सही करने से भी ज्यादा बुरा अनुभव होगा उनका Visa बनवाने का.. पर वो आखरी मुलाक़ात उनके इश्क़ को एक अंजाम दे गयी.. एक राह दे गयी.. एक दिशा दे गयी! प्रेम का मतलब पाना नहीं होता है.. प्रेम का मतलब होता है होना.. एक दूसरे में होना! और वो दोनों पागल हमेशा एक दूसरे की सुनहरी यादों में रहेंगे.. उसी तरह खिलखिलाते हुए, उसी तरह मुस्कुराते हुए, एक दूसरे से लड़ते हुए.. झगड़ते हुए.. प्रेम करते हुए!!
बिना किसी शर्त बिना किसी अपेक्षा के!
छज्जे वाला इश्क़ कब मॉडर्न हो गया पता ही नहीं चला.. आखिरी "सेल्फ़ी" उसके साथ ये बताती है के उसके साथ 6 साल बाद हमारा इश्क़ फेसबुक अउर व्हाटस एप के ज़माने में पहुच गया हैं! हमारा प्रेम पूरा था हम दोनों परफेक्ट नहीं थे पर हमारा प्रेम परफेक्ट था.. हम एक दूसरे की ख़ुशी में खुश होते थे और दुःख में एक दूसरे का साथ देते थे.. ये "आखरी मुलाक़ात" हमेशा याद रहेगी!!
"Sometimes the past and the future are irrelevant. Only the moment matters.."
गुलज़ार साब ने भी कहा है~

"हर इश्क़ का एक वक़्त होता है वो वक़्त हमारा नहीं था,
लेकिन इसका ये मतलब नहीं के वो इश्क़ नहीं था"