सरदार भगत-सिंह सरदार आया



ज़िंदाँ में शहीदों का वो सरदार आया
शैदा-ए-वतन पैकर-ए-ईसार आया

है दार-ओ-रसन की सरफ़राज़ी का दिन
सरदार भगत-सिंह सरदार आया

ता-दार-ओ-रसन शौक़ से इठला के गया
तो शान-ए-शहादत अपनी दिखला के गया

टुकड़े होता है दिल तिरे मातम में
लाशे का अंग अंग कटवा के गया

पी कर मय-ए-शौक़ झूमना वो तेरा
बे-परवायाना घूमना वो तेरा

है नक़्श तिरे अहल-ए-वतन के दिल पर
फाँसी की रसन को चूमना वो तेरा

जाम-ए-हुब्ब-ए-वतन के ऐ मतवाले
ऐ पैकर-ए-नामूस हमिय्यत वाले

हो आलम-ए-अर्वाह में शादाँ कि नहीं
अब तेरे वतन में वो हुकूमत वाले

Post a Comment

0 Comments