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हम देखेंगे - फैज़ अहमद फैज़
आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते, अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते - अकबर इलाहाबादी
इश्क़ नाज़ुक मिज़ाज है बेहद, अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता - अकबर इलाहाबादी
हर एक चेहरे को ज़ख्मों का आईना न कहो - राहत इन्दौरी
तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन में क्या बैठ गया - तहज़ीब हाफ़ी
तेरी कैद से मै युही रिहा नही हो रहा -  तहज़ीब हाफ़ी
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा - गुलज़ार
आदतन तुम ने कर दिये वादे - गुलज़ार
भोपाल : ये  झीलों  का शहर है - शायरी
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा, इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा - बशीर बद्र
ज़रा सी ज़िन्दगी
आप से मिलके हम कुछ बदल से गए - नुसरत फ़तेह अली खान
ये सारा बोझ मेरे सर पे क्यूँ है,उसे भी गम उठाना चाहिए था
Kabhi toh chauk ke dekhe koi humari taraf, kisi ki aankh mei humko bhi koi intezaar dikhe - Gulzar
हमेशा देर कर देता हूँ मैं - मुनीर नियाजी
जायचा देख के बोला ये नज़ूमी मुझ से - डॉ. कुमार विश्‍वास
चमकते चाँद को टूटा हुआ तारा बना डाला - आनंद बक्षी | आवारगी (१९९०)
मैं भाव सूची उन भावो की - डॉ. कुमार विश्वास
तेरी नफरत ने ये क्या सिला दिया मुझे,
ज़हर गम-ए-जुदाई का पिला दिया मुझे !
जितना कम सामान रहेगा, उतना सफ़र आसान रहेगा - गोपालदास 'नीरज'