ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जायेंगे, अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे - राहत इन्दौरी



अब ना मैं वो हूँ ना बाकी है ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे.

ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जायेंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे.

आप से रोज़ मुलाकात की उम्मीद नहीं,
अब कहाँ शहर में रहते हैं ठिकाने मेरे.

उम्र के राम ने साँसों का धनुष तोड़ दिया,
मुझपे एहसान किया आज ख़ुदा ने मेरे.

आज जब सो के उठा हूँ तो ये महसूस हुआ,
सिसकियाँ भारत रहा कोई सिरहाने मेरे..

- राहत इंदौरी

Ab na mein wo hoon na baki hain zamane mere,
Fir bhi mashhoor hain shehron me fasane mere.

Zindagi hai to naye zakhm bhi lag jayenge,
Ab bhi baki hain kai dost purane mere.

Aap se roz mulaqat ki umeed nahi,
Ab kahan shehar me rehte hain thikane mere.

Umr ke ram ne saanson ka dhanush tod diya,
Mujhpe ehsaan kiya aaj khuda ne mere.

Aaj jab so ke utha hoon to ye mehsoos hua,
Siskiyan bharta raha koi sirhane mere.

- Rahat Indori

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