हर एक शख़्स की अपनी ही एक मंज़िल है | भोपाली


हर एक शख़्स की अपनी ही एक मंज़िल है 
कोई किसी का यहाँ हम-सफ़र नहीं होता... 

Har ek Shaksha ki apni hi ek manzil hai
koi kisi ka yahan hum-safar nahi hota

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