मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो — डॉ. राहत इन्दौरी


मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो
आसमां लाये हो ले आये जमीं पर रख दो

अब कहां ढूंढने जाओगे हमारे कातिल
आप तो कत्ल का इल्जाम हमीं पर रख दो

उसने जिस ताक पे कुछ टूटे दीये रक्खे हैं
चॉद तारों को भी ले जाकर वहीं पर रक्ख दो

— डॉ. राहत इन्दौरी



Post a Comment

0 Comments