वो किसी से तुम को जो रब्त था तुम्हें याद हो कि न याद हो वो किसी पे था कोई म…
हार गया तन मन पुकार कर तुम्हें, कितने एकाकी हैं प्यार कर तुम्हें...........हार गय…
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद अब मुझ को नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद म…
ओ कल्प-वृक्ष की सोन-जूही, ओ अमलतास की अमर कली, धरती के आताप से जलते मन पर छायी न…
हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आँखे हम खुद में कितना उतरे , हम खुद में क…
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