सुरमई आँखों में नमी है क्या
ज़िन्दगी में कोई कमी है क्या
धूप चाहत की ज़ो नहीं आती
बर्फ एहसास की जमी है क्या
सर झुकाते हैं वह जो हर दर पर
उन से पूछो ये बन्दगी है क्या
बाद तेरे रहा ना कुछ मुझ में
साँस लेना ही ज़िन्दगी है क्या
- - - - - - - -
शहनाज़ फ़ातिमा सिद्दीक़ी
0 Comments