ग़मों को आबरू अपनी ख़ुशी को गम समझते हैं - डॉ. कुमार विश्वास



ग़मों को आबरू अपनी ख़ुशी को गम समझते हैं
जिन्हें कोई नहीं समझा उन्हें बस हम समझते हैं
कशिश जिन्दा है अपनी चाहतो में जानेजां क्यूंकि
हमें तुम कम समझते हो, तुम्हें हम कम समझते हैं

डॉ. कुमार विश्वास

Post a Comment

0 Comments