इक और नई कहानी दुनिया हम दोनों में ढूंढेगी
हम इस जीवन में भी अपना प्यार सफल न कर पाए
आंसू अपने सपनों का जब शीशमहल न हो पाए
इक दूजे की खातिर दोनों फिर पागल न हो पाए
तुम इतने प्यारे थे तुमसे पूरी दुनिया सरल हुई
हम इतने मुश्किल थे जो तुमसे भी हल न हो पाए
किस्मत ने हम दोनों को हर युग में ही मिलवाया है
हम अपना मिलना लेकिन हर बार सफल न कर पाए
धूप तुम्हारे रूप की कैसे दो आँखों में भर पाते
कैसे अम्बर के प्रश्नों का धरती पर उत्तर पाते
हम तो शापित प्रेमी हमको न कोई अधिकार मगर
जादूगर भी इस दुनिया को तुम जैसी न कर पाते
तुम्हें अमरता स्वर्ग की थी और हमें धरा पर मरना था
यूँ फिर सपनों का अपने संसार सफल न कर पाए
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अमन अक्षर
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