मुसाफिर हो तुम भी मुसाफिर हैं हम भीकिसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

उजाले अपने यादों के हमारे साथ रहने दो
बहुत दूर तक रात ही रात होगी
मुसाफिर हो तुम भी मुसाफिर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

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